कविता संग्रह >> खुशबुओं का शहर खुशबुओं का शहरअशोक मधुप
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हिन्दी ग़जल संकलन
खुशबुओं का शहर का एक समवेत ग़ज़ल संकलन है जिसमें देशभर के कुल सत्रह ग़ज़लकारों को एक ऐसी माला में पिरोया गया है जिसका प्रत्येक पुष्प अपनी अलग ही खुशबू बिखेरता है। इसमें सम्मिलित ग़ज़लकारों ने अपने-अपने ढंग से जीवन के सभी पक्षों को उकेरने का सफल प्रयास किया है। निःसन्देह इस संकलन के माध्यम से पाठकों को अच्छी ग़ज़लों का आस्वादन करने का अवसर मिलेगा।
हिन्दी ग़ज़लकार अशोक मधुप के संपादन में संकलन पठनीय एवं संग्रहणीय बन पड़ा है। सुधी पाठक इसका भरपूर स्वागत करेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।
डॉ. पुष्पलता तनेजा
केंद्रीय हिंदी निदेशालय
(नई दिल्ली)
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अनेक पुस्तकें संपादित कर चुके, हिंदी ग़ज़ल के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर अशोक मधुप ने खुशबुओं का शहर ग़ज़ल संकलन का बड़े ही खूबसूरत ढंग से संपादन कर अपनी लेखन क्षमता के साथ, संपादन दक्षता भी प्रमाणित कर दी है। इन ग़ज़लों में कहीं हुस्नो-इश्क तो कहीं मानवीय संवदेना, कहीं जीवन की संत्रासमयी पीड़ा, तो कहीं सम-सामयिकता, कहीं घुटन-छटपटाहट तो कहीं राष्ट्रीय चेतना आदि सभी पहलुओं के दर्शन होते हैं।
मुझे विश्वास है कि खुशबुओं का शहर ग़ज़ल प्रेमियों को निश्चय ही पसन्द आएगा।
राघवेन्द्र ठाकुर
हिन्दी प्रचार परिषद
तथा
लेखक एवं पत्रकार एसोशिएसन
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